भारत ने पहलगाम हमले की घटना की रिपोर्टिंग को लेकर सोमवार को 17 पाकिस्तानी यू-ट्यूब चैनल्स पर रोक लगा दी है. इनमें क्रिकेटर शोएब अख्तर, डॉन न्यूज, समा टीवी और जिओ न्यूज शामिल हैं. सरकार का कहना है कि ये चैनल्स भारत और सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ झूठी और भ्रामक खबरें दिखा रहे हैं.
वहीं ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कारपोरेशन ( british broadcasting corporation – BBC) को भी चेतावनी दी गई है. पहलगाम में हमले की रिपोर्टिंग के दौरान बीबीसी आतंकवादियों को उग्रवादी बता रहा था. सरकार ने यह कार्रवाई गृह मंत्रालय की सिफारिश के बाद की है. उधर, जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आज बुलाए गए विशेष सत्र में पहलगाम में मारे गए सैलानियों को श्रद्धांजलि दी गई.
यूं तो हमले के बाद ही एनआईए पहलगाम केस को लेकर सक्रिय हो गई थी और इसके अधिकारियों ने वारदात वाली जगह का मुआयना कर लिया था लेकिन इसे जांच सौंपे जाने के औपचारिक आदेश केन्द्रीय मंत्रालय ने पांच दिन बाद जारी किए हैं . इसके बाद रविवार 27 अप्रैल को एनआईए ने जम्मू में यह केस दर्ज किया . दिल्ली के लोधी रोड में सीजी कॉम्प्लेक्स स्थित मुख्यालय वाली एनआईए के देशभर में तकरीबन 20 दफ्तरों में से एक दफ्तर जम्मू के त्रिकुटा नगर में भी है . वैसे पता चला है कि एनआईए में महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी अगले दिन ही पहलगाम पहुंच गए थे . तब से इसकी एक टीम वहां डेरा डाले हुए है जिसमें पुलिस अधीक्षक और अन्य रैंक के कई अधिकारी शामिल हैं .
एनआईए (nia ) की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि आतंकवादियों की कार्यप्रणाली के सुराग के लिए एनआईए की जांच करने वाली टीमें प्रवेश और निकास बिंदुओं की बारीकी से जांच कर रही हैं. फोरेंसिक और अन्य विशेषज्ञों की मदद से टीमें पूरे इलाके की गहन जांच कर रही हैं, ताकि आतंकी साजिश का पर्दाफाश करने के लिए सबूत मिल सकें, जिसके कारण देश को झकझोर देने वाला यह भयानक हमला हुआ.
इसमें कहा गया है कि कश्मीर में सबसे भीषण आतंकी हमलों में से एक को अंजाम देने वाली घटनाओं के सिलसिले को जोड़ने के लिए चश्मदीदों से भी बारीकी से पूछताछ की जा रही है.
एनआईए द्वारा जारी बयान के अनुसार, आतंकवाद निरोधी एजेंसी के एक महानिरीक्षक( आईजी), एक उप महानिरीक्षक (डीआईजी) और एक पुलिस अधीक्षक (एसपी) की देखरेख में टीमें उन चश्मदीदों से पूछताछ कर रही हैं, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में शांतिपूर्ण और सुरम्य बैसरन घाटी में अपनी आंखों के सामने भयानक हमले को होते देखा था.
शांत वातावरण और सुंदरता के लिए ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के रूप में जाने वाले बैसरन ( baisaran ) इलाके में हमलावर आतंकवादियों के एक गुट ने भोजनालयों के आसपास घूम रहे, टट्टू की सवारी कर रहे या अपने बच्चों और माता-पिता सहित अपने परिवारों के साथ पिकनिक मना रहे लोगों को घेर लिया था . इसके बाद उन्होंने महिलाओं और बच्चों को अलग हटा दिया लेकिन पुरुष पर्यटकों को मार डाला था. इससे पहले उन्होंने उनका धर्म भी पूछा .
सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की एक टीम ने जब शवों की जांच की, तो वे हैरान रह गए. उन्होंने पाया कि 26 में से 20 पीड़ितों के निचले शरीर के कपड़े अस्त-व्यस्त थे. उनकी पेंट की जिप खुली हुई थी तथा पतलून नीचे खींची हुई थी. उनके अंडरवियर या निजी अंग दिख रहे थे. मृतकों के परिवार वाले शायद सदमे में थे इसलिए उन्होंने कपड़ों की इस हालत पर ध्यान नहीं दिया. कर्मचारियों ने भी शवों को वैसे ही उठाया और उन्हें कफन से ढक दिया.
चश्मदीदों ने भी मीडिया के अलग अलग मंचों पर बताया था कि आतंकवादियों ने सैलानियों की असली पहचान जानने के लिए उनसे आधार कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस जैसे पहचान पत्र मांगे थे. कोई अपनी जान बचाने के लिए खुद को मुस्लिम न बता रहा हो इस शक को दूर करने के लिए आतंकवादियों ने उनसे कलमा (मुस्लिम प्रार्थना) पढ़ने को और अपने निचले वस्त्रों को हटाने के लिए कहा ताकि खतना की जांच कर सकें.
एक हमलावर आतंकवादी को रोकने और उसका हथियार छीनने की कोशिश में स्थानीय शख्स सैयद आदिल हुसैन शाह भी मारा गया . चश्मदीदों का कहना है कि आदिल ने हमलावर को रोकने के लिए उसकी बंदूक पकड़ने की कोशिश थी. उसे भी कई गोलियां मारी गई.
अधिकारियों ने कहा कि एनआईए अधिकारियों की अलग-अलग टीमें आतंकवादी हमले के बचे हुए लोगों से विवरण प्राप्त करने के लिए देश भर में दौरा कर रही हैं, कहा जाता है कि यह हमला पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) द्वारा किया गया था।
उन्होंने कहा कि एनआईए की टीमों ने महाराष्ट्र, ओडिशा और पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों में पीड़ितों के परिवार के सदस्यों से बयान दर्ज किए हैं. उन्होंने कहा कि नृशंस आतंकवादी हमले की प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि इसमें शामिल आतंकवादियों की संख्या पांच से सात हो सकती है.
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आतंकवादियों को मार गिराने में मददगार सूचना देने वाले को 20-20 लाख रुपये का इनाम देने का ऐलान किया है . अधिकारियों ने चश्मदीदों के हवाले से बताया कि जांच से पता चला है कि आतंकवादियों ने अपने बर्बर कृत्य को रिकॉर्ड करने के लिए बॉडी कैमरे का इस्तेमाल भी किया था.