सिर्फ दो साल की रोलो कर गई बड़े काम जिसे सीआरपीएफ ने किया सलाम, दिया सम्मान

290
सीआरपीएफ ने रोलो को सैनिक सम्मान से विदा किया

यह बेहद भावुक पल थे जब  केन्द्रीय पुलिस बल ( central reserve police force ) के जवान अपने  एक उस  बहादुर साथी का अंतिम संस्कार करने के लिए उसे  ताबूत में लेकर आए थे जो कभी उन्हें दुश्मन से और दुश्मन के बिछाए मौत  के जाल से बचाते हुए टीम का नेतृत्व करता था . यह साथी कोई और नहीं  रोलो नाम की एक मादा बेल्जियन शेफर्ड (belgian shepherd) श्वान थी . मात्र दो साल की बेख़ौफ़ रोलो ने अपनी बहादुरी और मेहनत के बूते  सीआरपीएफ को एक बड़े नक्स्लरोधी अभियान में कामयाबी दिलाने वो रोल बखूबी पूरा किया जिसके लिए उसे सीआरपीएफ में भर्ती और प्रशिक्षित किया गया था.

रोलो को शुक्रवार को अंतिम संस्कार के लिए दफनाते वक्त उसी तरह सम्मान दिया गया जैसा कि किसी बहादुर सैनिक के लिए अपेक्षित किया जाता है . शस्त्रों की सलामी और बिगुल की आवाज़ एक वीर के हमेशा के लिए सो जाने का वैसा ही ऐलान कर रही थी जैसे अपने फ़र्ज़ की खातिर शहीद होने वाले जांबाज़ के लिए किया जाता है. फख्र और मातम के मिले जुले पलों का यह अलग तरह का अनुभव होता है जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता.   इसी के साथ सीआरपीएफ के महानिदेशक ज्ञान प्रताप सिंह  ने रोलो को सम्मान व प्रशंसा स्वरुप डीजी कमनडेशन डिस्क ( dg commendation disc ) देने का ऐलान किया .

रोलो सीआरपीएफ (crpf) के  उस विशेष रूप से ट्रेंड  श्वान दस्ते का हिस्सा थी जिसे नक्सलरोधी ऑपरेशनों में जवानों की मदद के छत्तीसगढ़ लाया गया था . छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर कर्रेगुट्टालु पहाड़ियों में एक बड़े नक्सल विरोधी अभियान के दौरान मधुमक्खियों के झुंड ने  रोलो  पर हमला किया था . 27 अप्रैल 2025 को उसे मृत घोषित कर दिया गया. 200 मधुमक्खियों के डंक के बाद एनाफिलेक्टिक शॉक (anaphylactic shock) रोलो की मौत का कारण बताया गया है .

सीआरपीएफ की एक बहादुर ट्रेंड सिपाही रोलो

के 9 रोलो  (K 9 rolo ) का जन्म 5 अप्रैल 2023 को कर्नाटक में बेंगलुरु स्थित श्वान प्रजनन एवं प्रशिक्षण स्कूल (dog breeding and training school – DBTS) में हुआ था. रोलो दरअसल  इन्फैंट्री पेट्रोलिंग, विस्फोटक पहचान और आक्रमण में प्रशिक्षित एक मादा कुत्ता था.  इसे अप्रैल 2024 में  सीआरपीएफ की 228 बटालियन  में नक्सल विरोधी ड्यूटी के लिए तैनात किया गया.  छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर कर्रेगुट्टालु हिल (केजीएच kgh ) के पास नक्सलियों की कमर तोड़ने के लिए  ऑपरेशन 21 अप्रैल से शुरू हुए  ‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’  (operation black forest ) के दौरान रोलो से काम लिया जा रहा था. नक्सलियों के खिलाफ अंतिम रूप से छेड़े जाने वाले युद्ध में यह सीआरपीएफ का अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन था .  21 दिनों के लंबे ऑपरेशन में 1.72 करोड़ रुपये के इनामी 31 नक्सलियों को ढेर कर दिया गया. सीआरपीएफ के साथ राज्य पुलिस , डीआरजी  आदि अन्य बल भी इसमें लगाए गए थे.

अनंत यात्रा पर जांबाज़ रोलो

केजीएच में विशेष अभियान के दौरान, जब श्वान दस्ते के साथ गहन तलाशी अभियान चलाया जा रहा था तभी अचानक मधुमक्खियों के एक विशाल झुंड ने रोलो पर हमला कर दिया.  रोलो के हैंडलर  ने उसे मधुमक्खियों के डंक से बचाने के लिए इसे पॉलीथीन शीट से ढक दिया लेकिन यह कोशिश  बेकार साबित हुई . असल में  कई  मधुमक्खियों का  झुंड उस  कवर के अंदर भी जा घुसा .  मधुमक्खियों ने  रोलो को  बुरी तरह काट लिया. ऐसे में बेहद तेज़ दर्द और जलन के कारण  रोलो छटपटा कर पागल सी हो गई और कवर से बाहर निकल आई . उसे और ज्यादा डंक लगे .  लगभग 200 मधुमक्खियों ने रोलो को डंक मारा परिणामस्वरूप, रोलो बेहोश हो  गई. हेंडलर ने फ़ौरन  आपातकालीन उपचार दिया और पशु चिकित्सक के पास ले जाया गया लेकिन रोलो ने रास्ते में ही दम  तोड़ दिया . बेहद दर्द के साथ रोलो ने अपनी यात्रा  पशु चिकित्सक के पास पहुंचने से पहले ही पूरी कर ली . लिहाज़ा वेटरनरी डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया.

उल्लेखनीय है कि 26 मार्च, 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने के उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सुरक्षा बल ऑपरेशन चला रहे हैं जिसका ऐलान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किया हुआ है.