भारतीय थल सेना में अब ब्रिगेडियर से ऊपर के रैंक के अफसर एक जैसी वर्दी पहनेंगे

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तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत अपने उत्तराधिकारी जनरल मनोज मुकुंद को सेना की कमान सौंपते हुए. दोनों ही एक रैंक के थे लेकिन उनकी कैप अलग अलग थी . जनरल रावत गोरखा रेजीमेंट का हैट पहने थे .

भारतीय सेना में अब ब्रिगेडियर से ऊपर के रैंक के अधिकारी यानि मेजर जनरल और लेफ्टिनेंट जनरल  से लेकर सेना प्रमुख तक अब एक जैसी वर्दी पहनेंगे. उनके बैच और रैंक की पहचान के प्रतीक ओहदे के हिसाब से ही होंगे लेकिन उनके  रंग रूप और साज सज्जा में एकरूपता होगी. वे अपनी कैप समेत रेजीमेंट या कोर की पहचान दर्शाने वाला कोई प्रतीक चिन्ह वर्दी पर धारण नहीं करेंगे. ये फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि ब्रिगेडियर या उससे ऊँचे ओहदे तक पहुँचने के बाद सेना में अधिकारी विभिन्न रेजीमेंट और कोर के सैनिकों के मिश्रण को प्रशासनिक या ऑपरेशनल स्तर पर  नियंत्रित करते हैं. वो सेना के किसी एक हिस्से का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं .

सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की वर्दी से संबंधित ये फैसला हाल ही में कमांडर स्तर की बैठक में लिया गया है. अब 1 अगस्त से वर्दी के नए नियम लागू होंगे. हालांकि कुछ दशक पहले तक सेना में इसी तरह की रवायत हुआ करती थी. जब पहले रेजिमेंटल सेवा में लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक तक के अधिकारी होते थे तब  कैप या कोर संबंधित अन्य प्रतीक लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक तक पहनते थे  लेकिन फिर रेजीमेंटल सेवा में कर्नल रैंक के अधिकारी रहने लगे तो वर्दी का ये नियम  इसे कर्नल रैंक तक लागू कर दिया गया था .

अब ब्रिगेडियर से ऊपर के रैंक के अधिकारी एक ही रंग वाली बैरे कैप berets (caps)पहनेंगे , कमर में बंधी उनकी बेल्ट का बकल भी एक जैसा होगा और जूतों में भी भी एकरूपता होगी.

वर्तमान में भारतीय सेना indian army के अधिकारियों की वर्दी पर ऐसे काफी प्रतीक चिन्ह मिलते हैं जिससे पता चलता है कि उनका ताल्लुक किस रेजीमेंट या कोर से है . मसलन गोरखा रेजीमेंट से ताल्लुक रखने वाले अफसर कई बार हैट पहनते हैं. सेना प्रमुख और फिर भारत के पहले सीडीएस बने जनरल बिपिन रावत की कई फोटो ऐसी हैं जिनमें वो हैट पहने दिखाई देते है . उनसे पहले वाले सेना प्रमुख जनरल दलबीर  सिंह सुहाग भी उसी रेजीमेंट से थे . वे भी कई पारम्परिक मौको पर हैट पहने होते थे. इसे तराई हैट भी बोला जाता है. जनरल गले में लपेटे जाने वाला स्कार्फ भी एक जैसा होगा.

कुछ मिसालें और भी हैं . जैसे  वर्तमान में इन्फेन्ट्री अधिकारी या मिलिटरी इंटेलिजेंस के अफसर गहरे हरे रंग की बैरे पहनते हैं जबकि आर्मर्ड कोर के अफसर काले रंग की बैरे पहनते हैं . इसी तरह पैराशूट रेजीमेंट के अफसर मैरून बैरे maroon beret पहनते हैं जबकि थल सेना की विमानन कोर के अधिकारी सलेटी रंग की बेरे पहनते हैं .  बेल्ट पर भी उनकी रेजीमेंट का निशान होता है . कंधे से शर्ट की जेब तक लटकी लान्यार्ड का रंग और उसे टांगने का स्टाइल भी अलग अलग तरह का होता है. किसी  किसी की लान्यार्ड दाहिने कंधे से बायीं पॉकेट तक क्रॉस करके लगाई जाती है . कंधे पर बैज भी अलग रंग के होते हैं.

माना जा रहा है कि निचले रैंक के कार्मिकों में वरिष्ठ अधिकारी की निष्पक्षता और भेदभाव रहित छवि बनाने में वर्दी के नए असरदार होंगे.