इस बार शंगुमुघम समुद्र तट पर नौसेना दिवस मनाने का कारण वही सिलसिला है जिसके तहत प्रमुख नौसेना स्टेशनों के अलावा किसी अन्य स्थान पर ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने की नीति बनाई गई है . इससे पहले, यह ओडिशा के पुरी और महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में आयोजित किया गया था.
नौसेना दिवस 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना की निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाता है. इस युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान की नौसेना और तटीय सुरक्षा को करारा झटका दिया था. ऑपरेशन ट्राइडेंट के तहत, भारतीय नौसेना की मिसाइल नौकाओं ने कराची बंदरगाह पर एक साहसिक हमला किया. इस निर्णायक कार्रवाई ने न केवल भारत की समुद्री शक्ति, बल्कि सटीकता, साहस और रणनीतिक कौशल का भी प्रदर्शन किया.
एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ तिरुवनंतपुरम के शंगुमुघम समुद्र तट पर होने वाला यह कार्यक्रम नागरिकों को भारतीय नौसेना के बहु डोमेन संचालन ( multi domain operation) के विभिन्न पहलुओं को देखने का एक अनूठा मौका देगा . यह कार्यक्रम नौसेना की दुर्जेय लड़ाकू क्षमताओं, तकनीकी उत्कृष्टता और परिचालन तत्परता को जीवंत करेगा, साथ ही देश की बढ़ती समुद्री ताकत और आत्मनिर्भरता को भी दर्शाएगा.
इस ऑपरेशनल प्रदर्शन में अग्रिम पंक्ति के प्लेटफार्मों द्वारा समन्वित युद्धाभ्यास प्रदर्शित किए जाएगे, जो नौसेना की समुद्री क्षेत्र में शक्ति और सटीकता प्रदान करने की क्षमता का प्रतीक होगा. यह कार्यक्रम सतह, उप-सतही और हवाई संपत्तियों के निर्बाध सहयोग को सामने लाएगा , जो भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए नौसेना की तैयारी को दर्शाता है.
आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को दर्शाते हुए, इस प्रदर्शन में रक्षा निर्माण में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता का प्रतिनिधित्व करने वाली कई स्वदेशी निर्मित संपत्तियां प्रदर्शित की जाएंगी. यह मंच ‘मेक इन इंडिया’ के तहत नौसेना के लिए बनाए जाने वाले साजो सामान का प्रदर्शन करेगा . समारोह में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नौसेना की तरफ से की गई तैयारियों और निवारक क्षमता को भी उजागर किया जाएगा. इससे पता भारतीय नौसेना की सटीकता, गति और प्रभुत्व के साथ हमला करने की उसकी क्षमता कैसी है .













