
अधिकारियों ने बताया कि चार्जशीट में जिन पांच पुलिसकर्मियों के नाम हैं वो हैं हरजिंदर सिंह ढिल्लों, शमिंदर सिंह, हैरी बोपाराई, जय सिंह, और इंस्पेक्टर रॉनी सिंह . इंस्पेक्टर रॉनी सिंह को मामले में मुख्य अभियुक्त बनाया गया है.
घटनाक्रम से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, आरोपी अधिकारियों पर गंभीर चोट पहुंचाने और गलत तरीके से हिरासत में रखने के साथ-साथ अन्य संबंधित अपराधों का अभियोग लगाया गया है. यह भी पता चला है कि कोर्ट में दायर अंतिम चार्जशीट में हत्या के प्रयास का आरोप शामिल नहीं किया गया है.
हमले की यह घटना इस साल 13 और 14 मार्च की दरम्यानी रात को तब की है जब कर्नल बाठ और उनका पुत्र पटियाला में सड़क किनारे एक ढाबे पर खाना खा रहे थे. कर्नल बाठ ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि सादे कपड़ों में आए पुलिसकर्मियों ने उनसे अपनी कार हटाने के लिए कहा, क्योंकि उन पुलिसकर्मियों को वहां अपनी कार पार्क करनी थी. जब कर्नल ने उनके असभ्य लहजे पर आपत्ति जताई तो अधिकारियों ने उन्हें और उनके बेटे को पीटा.
अपनी शिकायत में, उन्होंने आरोप लगाया कि अभियुक्तों – पंजाब पुलिस के चार इंस्पेक्टर-रैंक के अधिकारियों और उनके हथियारबंद अधीनस्थों – ने बिना किसी उकसावे के उन पर और उनके बेटे पर हमला किया, उनका पहचान पत्र और मोबाइल फोन छीन लिया, और उन्हें “फर्जी मुठभेड़” की धमकी दी, यह सब सार्वजनिक रूप से और सीसीटीवी कैमरे की कवरेज में हुआ.
इस घटना में कर्नल का हाथ टूट गया, जबकि उनके बेटे के सिर पर चोट लगी. कर्नल बाथ ने आरोप लगाया था कि पंजाब पुलिस के आधीन इस केस की निष्पक्ष जांच संभव नहीं है. उन्होंने सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग की थी. हाई कोर्ट ने 3 अप्रैल को कर्नल द्वारा दायर एक याचिका पर जांच की ज़िम्मेदारी चंडीगढ़ पुलिस को सौंपी . मामले की जांच के लिए 11 अप्रैल को चंडीगढ़ पुलिस एसपी मनजीत श्योरान के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था.
हालांकि, 16 जुलाई को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंप दी और कहा कि वह जांच एजेंसी के “दागदार तरीके” से जांच करने के आचरण पर मूकदर्शक नहीं रह सकती. जस्टिस राजेश भारद्वाज की बेंच ने पटियाला में दर्ज दो संबंधित एफआईआर की सीबीआई जांच ( cbi investigation) का आदेश देते हुए कहा था कि मामले की गंभीर परिस्थितियों को देखते हुए, कोर्ट को यकीन है कि जांच एजेंसी न सिर्फ जांच में कमियां पैदा करने की कोशिश कर रही है, बल्कि जांच में इतने बड़े गड्ढे करने की कोशिश कर रही है ताकि यह पक्का हो सके कि एक बार जब कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हो जाए, तो अभियोजन का मामला कोर्ट में मुश्किल से ही आगे बढ़ पाए.
25 जुलाई को, सीबीआई की चंडीगढ़ की क्षेत्रीय इकाई की जगह उसकी दिल्ली इकाई ने इस मामले में दो अलग-अलग एफआईआर ( FIR) दर्ज कीं, जिनमें से एक कर्नल बाठ की तरफ से और दूसरी पटियाला के ढाबा मालिक की तरफ से थी.
सीबीआई ने कर्नल बाठ की शिकायत पर दर्ज एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता की धारा 115 (2) (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 351 (2) (आपराधिक धमकी), 109 (हत्या की कोशिश), 310, 117 (1) (जानबूझकर गंभीर चोट पहुंचाना), 117 (2), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना) और 190 लगाई हैं. धारा 117 के तहत सात साल तक की जेल की सज़ा है और भारतीय न्याय सहिता ( bns ) की धारा 109 के तहत उम्रकैद तक की सज़ा हो सकती है.












