हमेशा के लिए उड़ गया भारतीय वायुसेना एक जांबाज़ – अलविदा नमांश स्याल ..!

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विंग कमांडर नमांश स्याल को आखिरी सलाम

भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर नमांश स्याल  का रविवार को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में उनके पैतृक गांव पटियालकड़ में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया.  चौंतीस वर्षीय नमांश स्याल 21 नवंबर को  दुबई एयर शो 2025 के दौरान अपने तेजस विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने जान गंवा बैठे थे.  उनका पार्थिव शरीर पूरे सैन्य सम्मान के साथ  रविवार दोपहर करीब 12.55 बजे भारतीय एयर फोर्स के एक विशेष विमान  में गगल एयरपोर्ट लाया गया .

वो पल बेहद करुणा से भरपूर और हृदय विदारक थे जब रविवार जब विंग कमांडर नमांश स्याल ( wing commander namansh syal ) का  पार्थिव शरीर को अग्नि के हवाले किया जाना था. उनकी पत्नी विंग कमांडर अफशां अख्तर  ( wing commander afshan akhter ) ने अपनी सात साल की बेटी आरिया को गले लगाकर उन्हें विदाई दी. खुद भी वो वर्दी में थीं . जीवन साथी को आंसू भरकर आखिरी ‘ बाय ‘ के साथ एक सैनिक का भी अंतिम सलाम था .  विंग कमांडर स्याल की चिता को  उनके  चचेरे भाई निशांत ने वायु सेना  और प्रशासनिक  अधिकारियों, नेताओं और स्थानीय लोगों की मौजूदगी में चिता को आग दी, यह सब  अपने प्यारे ‘नम्मू’ को आखिरी श्रद्धांजलि देने के लिए लाइन में खड़े थे.

स्याल के शरीर को जब ताबूत में लाया गया तो माहौल एकदम हर किसी को झकझोड़ देने जैसा था . एक भावुक  पल में, स्क्वाड्रन लीडर अफशां, यूनिफॉर्म में, ताबूत के  पास खड़ी थीं और आंखों में आंसू भरकर उन्हें आखिरी सलामी दे रही थी, , यह इशारा देश के लिए प्यार और अटूट सेवा दोनों को दिखाता है.  इस बीच, उनकी मां वीना देवी अपने बेटे के ताबूत  से लिपटी रहीं.  पार्थिव शरीर लाए जाते समय वातावरण देशभक्ति के जोश से भर गया था, जब वहां के लोग “भारत माता की जय” और “जब तक सूरज चांद रहेगा, नम्मू भाई का नाम रहेगा” के नारे लगा रहे थे. वे नमांश स्याल को उनके बचपन के नाम   से बुला रहे थे.

आंसू भरे नेत्रों से बेटे को पंचतत्व में विलीन होते  पिता जगन नाथ बस देख भर ही पा रहे थे. वे खुद भी सेना की सेवा में रहे और हिमाचल प्रदेश एजुकेशन डिपार्टमेंट के पूर्व प्रिंसिपल भी हैं . बेहद भावुक हो कर बोले , “देश ने एक शानदार पायलट खो दिया है, मैंने अपना बेटा खो दिया है. अब मुझे बहादुर बनना है और अपना और परिवार का ख्याल रखना है.”

अपने नम्मु  के बचपन से लेकर अब तक की यादें उनके जहन में बार बार आ रही थी. कहते हैं , ” एलकेजी  से लेकर उसकी पढ़ाई पूरी होने तक मैंने उसे कभी थप्पड़ तक नहीं मारा. उसने जिस भी कॉम्पिटिशन में हिस्सा लिया, वह हमेशा फर्स्ट आया. उसने नेशनल टैलेंट स्कॉलर कॉम्पिटिशन भी जीता था.”