समुद्र में 26000 किलोमीटर का चक्कर लगाने एक नाव में निकली सेना की 10 साहसी अधिकारी

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मुम्बई में गेट वे ऑफ़ इंडिया से आईएएसवी त्रिवेणी में सवार होकर निकली सेना की अधिकारी
भारतीय सेना के तीनों अंगों में सेवारत 10 महिला स्वदेश निर्मित भारतीय सेना नौकायन पोत (आईएएसवी) त्रिवेणी पर सवार होकर पूर्वी मार्ग पर लगभग 26,000 समुद्री मील की यात्रा करने निकली हैं .  वे भूमध्य रेखा को दो बार पार करेंगी, तीन महान अंतरीपों – लीउविन, हॉर्न और गुड होप – का चक्कर लगाएंगी और सभी प्रमुख महासागरों और दक्षिणी महासागर तथा ड्रेक पैसेज सहित कुछ सबसे खतरनाक जलक्षेत्रों को पार करेंगी.  नौ महीने लगातार नाव में रहते हुए महिला अधिकारियों का यह दल  मई 2026 में मुंबई लौटेगा लेकिन रास्ते में चार अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों का भी दौरा करेगा.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ( defence minister rajnath singh) ने त्रिवेणी पर सवार इन साहसी महिला अधिकारियों 11 सितम्बर को  झंडी दिखाकर रवाना किया .  आईएएसवी  त्रिवेणी (iasv triveni) यूं  तो मुंबई में गेट वे ऑफ़ इंडिया  से रवाना हुई लेकिन फ्लेग ऑफ़ दिल्ली में साउथ ब्लॉक स्थित रक्षा मंत्रालय से वर्चुअली किया गया. इस दौरान चीफ ऑफ़ डिफेन्स स्टाफ  जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख  जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह उपस्थित थे . जबकि मुंबई में नाव में सवार महिला दल में अभियान नेता लेफ्टिनेंट कर्नल अनुजा वरुडकर, उप अभियान नेता स्क्वाड्रन लीडर श्रद्धा पी राजू, मेजर करमजीत कौर, मेजर ओमिता दलवी, कैप्टन प्राजक्ता पी निकम, कैप्टन दौली बुटोला, लेफ्टिनेंट कमांडर प्रियंका गुसाईं, विंग कमांडर विभा सिंह, स्क्वाड्रन लीडर अरुवी जयदेव और स्क्वाड्रन लीडर वैशाली भंडारी थीं.

दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह त्रिवेणी को वर्चुअली फ्लेग ऑफ़ किया.

गेट वे ऑफ़ इंडिया ( gate way of india) पर  अभियान दल के रवाना होते समय  पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे. क्योंकि नाव में सवार महिला अधिकारी सेना के अलग अलग अंगों से हैं इसलिए यह भारतीय सेनाओं के आपसी तालमेल का भी शानदार उदाहरण है .

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह  ने पुडुचेरी में स्वदेश निर्मित 50 फीट लंबी नौका आईएएसवी त्रिवेणी को आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह पोत रक्षा नवोन्मेषण और प्रौद्योगिकी में भारत के आत्मविश्वास को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि आईएएसवी त्रिवेणी का प्रत्येक समुद्री मील भारत की सामरिक स्वायत्तता और आत्मनिर्भरता की ओर एक यात्रा है.

फ्रेमेंटल (ऑस्ट्रेलिया), लिटलटन (न्यूज़ीलैंड), पोर्ट स्टेनली (कनाडा) और केप टाउन (दक्षिण अफ्रीका) के पड़ाव पत्तनों के बारे में राजनाथ सिंह ने कहा कि टीम की परस्पर बातचीत विश्व के लिए सशस्त्र बलों की शक्ति के साथ-साथ भारतीय संस्कृति, परंपरा और मूल्यों का परिचय कराएगी. उन्होंने कहा कि आईएएसवी त्रिवेणी न केवल स्थायित्व का, बल्कि कूटनीति का भी एक माध्यम है.