लेह एपेक्स बॉडी ( leh apex body ) की तरफ से आहूत इस शांतिपूर्ण चल रहे आन्दोलन ने हिंसक रूप तब लिया जब अनशन पर बैठे लोगों में से दो की हालत ज्यादा बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. यह 70 साल के एक पुरुष और 60 साल से ऊपर की एक महिला है. उनके अलावा 15 लोग और थे जिनकी तबीयत इस अनशन के दौरान बिगड़ी जो 10 सितंबर से शुरू हुआ था लेकिन अनिश्चितकालीन अनशन में बदल दिया गया. अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पर्यावरणविद सोनम वांगचुक ने बुधवार को हिंसा के मद्देनजर 16वें दिन अपना अनशन समाप्त कर दिया.
एलएपी (LAP) की युवा शाखा के विरोध प्रदर्शन के दौरान कुछ लोगों ने पथराव किया. उन्होंने केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के वाहन सहित कुछ अन्य वाहनों को आग लगाई. उन्होंने उस परिसर को भी निशाना बनाया जिसमें , केंद्र में सत्तारूढ़ , भारतीय जनता पार्टी ( बीजेपी – bjp) का स्थानीय दफ्तर है .
हिंसा और सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई के बीच तरह तरह की अफवाह फैली . इसे नेपाल में हाल में हुए उस जेन ज़ी आन्दोलन से जोड़कर प्रचारित किया जाने लगा जिसने वहां भयानक शक्ल अख्तियार कर एक ही झटके में सरकार का तख्ता पलट कर डाला था. बीजेपी नेताओं ने इसके पीछे कांग्रेस के एक वार्ड के काउंसलर को ज़िम्मेदार ठहराया तो इसका जवाब सोनम वांगचुक ने यह कहते हुए दिया बयान दिया कि वहां कांग्रेस की इतनी पकड़ ही नहीं है कि 5000 युवाओं को इकट्ठा कर ले .
लदाख में छठी अनुसूची लागू करने का आंदोलन पिछले कुछ समय से तेज़ हो रहा है. दरअसल , यह संविधान की छठी अनुसूची है जो चार पूर्वोत्तर राज्यों त्रिपुरा, मेघालय, मिज़ोरम और असम की जनजातीय आबादी के लिए है. यह शासन के नजरिए से , राष्ट्रपति और राज्यपाल की शक्तियों, स्थानीय निकायों के प्रकार, वैकल्पिक न्यायिक तंत्र और स्वायत्त परिषदों के माध्यम से प्रयोग की जाने वाली वित्तीय शक्तियों के संबंध में विशेष प्रावधान करती है.
केन्द्रीय गृह मंत्रालय और लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) तथा करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के सदस्यों के बीच 6 अक्टूबर को नए दौर की बातचीत का वक्त तय किया गया है लेकिन यह बातचीत जल्द कराए जाने की मांग भी की जा रही है .
एल ए पी और केडीए चार साल से अपनी मांगों के समर्थन में संयुक्त रूप से आंदोलन का नेतृत्व कर रही हैं. इतना ही नहीं अतीत में सरकार के साथ इनकी कई दौर की वार्ता हो चुकी हैं.
विरोध प्रदर्शन के आह्वान पर, बुधवार को लेह शहर बंद रहा और एनडीएस स्मारक मैदान में बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए और फिर सड़कों पर मार्च निकाला. प्रदर्शनकारी छठी अनुसूची और राज्य के दर्जे के समर्थन में नारे लगा रहे थे . इस बीच स्थिति तब बिगड़ गई जब कुछ युवकों ने भाजपा और हिल काउंसिल के मुख्यालय पर पथराव किया।
लदाख के हालात पर देर शाम केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने बयान जारी किया जिसमें आरोप लगाया गया कि सोनम वांगचुक के भड़काऊ भाषण के प्रभाव से आन्दोलनरत युवाओं को उकसावा मिला. सरकार का यह भी कहना है हालात को बिगड़ते देख सोनम अपना अनशन समाप्त करके एम्बुलेंस में चले गए जबकि उनको स्थिति सभालने की कोशिश करनी चाहिए थी. सरकार के ब्यान में यह भी दावा किया गया है कि लदाख संबंधी मांगों पर सरकार गंभीर है और काम कर रही है .
गृह मंत्रालय का बिन्दुवार बयान :
सोनम वांगचुक ने 10-09-2025 को भूख हड़ताल शुरू की थी. जबकि सबको पता है कि भारत सरकार इन्हीं मुद्दों पर एपेक्स बॉडी और केडीए के साथ सक्रिय रूप से बातचीत कर रही है. उच्चाधिकार प्राप्त समिति और उप-समितियों के औपचारिक माध्यम से और नेताओं के साथ कई अनौपचारिक बैठकों के माध्यम से उनके साथ कई बैठकें हुईं.
इस तंत्र के माध्यम से संवाद की प्रक्रिया ने लद्दाख की अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण को 45% से बढ़ाकर 84% करने, परिषदों में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण प्रदान करने और भोटी व पुर्गी को आधिकारिक भाषा घोषित करने जैसे अभूतपूर्व परिणाम दिए हैं. इसके साथ ही, 1800 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू की गई. हालाँकि, कुछ राजनीतिक रूप से प्रेरित व्यक्ति उच्चाधिकार प्राप्त समिति के तहत हुई प्रगति से खुश नहीं थे और संवाद प्रक्रिया को विफल करने की कोशिश कर रहे थे.
उच्चाधिकार प्राप्त समिति की अगली बैठक 6 अक्टूबर को निर्धारित की गई है, जबकि लदाख के नेताओं के साथ 25 और 26 सितंबर को भी बैठकें आयोजित करने की योजना है.. जिन मांगों को लेकर श्री वांगचुक भूख हड़ताल पर थे, वे एचपीसी में चर्चा का अभिन्न अंग हैं. कई नेताओं द्वारा भूख हड़ताल समाप्त करने का आग्रह करने के बावजूद, उन्होंने भूख हड़ताल जारी रखी और अरब स्प्रिंग शैली के विरोध प्रदर्शनों और नेपाल में Gen Z के विरोध प्रदर्शनों का भड़काऊ उल्लेख करके लोगों को गुमराह किया.
24 सितंबर को लगभग 11.30 बजे उनके भड़काऊ भाषणों से उकसाई गई भीड़ भूख हड़ताल स्थल से निकली और एक राजनीतिक दल के कार्यालय के साथ-साथ लेह के सीईसी (CEC) के सरकारी कार्यालय पर हमला किया. उन्होंने इन कार्यालयों में आग लगा दी, सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया और पुलिस वाहन को आग लगा दी. बेकाबू भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया जिसमें 30 से अधिक पुलिस/सीआरपीएफ कर्मी घायल हो गए. भीड़ ने सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करना और पुलिसकर्मियों पर हमला करना जारी रखा. आत्मरक्षा में, पुलिस को गोलीबारी करनी पड़ी जिसमें दुर्भाग्य से कुछ लोगों के हताहत होने की खबर है.
. सुबह-सुबह हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को छोड़कर, शाम 4 बजे तक स्थिति नियंत्रण में आ गई.सोनम वांगचुक ने इस हिंसक घटनाक्रम के बीच अपना उपवास तोड़ दिया और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कोई गंभीर प्रयास किए बिना एम्बुलेंस से अपने गाँव चले गए.