पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “दलितों को एक गलत संदेश दिया जा रहा है… कि आप चाहे कितने भी सफल क्यों न हों, अगर आप दलित हैं, तो आपको दबाया और कुचला जा सकता है. ”
उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री ने स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच का अपना वादा पूरा नहीं किया है. राहुल गांधी ने कहा कि कुमार के परिवार, खासकर उनकी दोनों बेटियों पर बहुत दबाव था.
अपने द्वारा छोड़े गए नौ पन्नों के “अंतिम नोट” में, 52 वर्षीय पूरन कुमार ने हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारनिया ( अब स्थानांतरित ) समेत आठ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों पर “घोर जाति-आधारित भेदभाव, लक्षित मानसिक उत्पीड़न, सार्वजनिक अपमान और अत्याचार” का आरोप लगाया है.
बढ़ते दबाव के बीच, हरियाणा सरकार ने डीजीपी शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेज दिया और ओम प्रकाश सिंह को पुलिस महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया है. ओपी सिंह भारतीय पुलिस सेवा के 1992 बैच के हरियाणा कैडर के अधिकारी हैं . वह अनुभवी होने के साथ साथ शानदार और अलंकृत पुलिस अधिकारी हैं. वर्तमान में हरियाणा पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन में प्रबंध निदेशक ओ पी सिंह हरियाणा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के महानिदेशक भी हैं . वे मधुबन स्थित फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी के निदेशक भी हैं .
हरियाणा के गृह विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव सुमिता मिश्रा की तरफ से इस बारे में जारी आदेश में कहा गया है कि हरियाणा के राज्यपाल ने ओम प्रकाश सिंह को शत्रुजीत सिंह के छुट्टी रहते हुए उस दौरान डीजीपी का कामकाज संभालने के लिए कहा है .

इस बीच, चंडीगढ़ पुलिस ने वाई पूरन कुमार की पत्नी, आईएएस अधिकारी अमनीत पी कुमार को एक नोटिस जारी कर उनके पति का लैपटॉप मांगा है. लैपटॉप अहम सबूतों में से एक है. मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) का मानना है कि इस उपकरण में महत्वपूर्ण जानकारी हो सकती है, जिसमें उस कथित सुसाइड नोट का मूल प्रारूप भी शामिल है जो उस पर मिला था.
सुसाइड नोट की प्रमाणिकता की पुष्टि के लिए लैपटॉप को डिजिटल जांच के लिए केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) भेजा जाना है . जांचकर्ता यह पुष्टि करना चाहते हैं कि क्या यह नोट वास्तव में पूरन कुमार ने खुद लिखा था और अपने लैपटॉप पर ही बनाया था।
इसी लैपटॉप में कथित तौर पर सुसाइड नोट का एक सेव किया हुआ प्रारूप भी है, जिसके बारे में पुलिस का मानना है कि अधिकारी ने अपनी मृत्यु से पहले इसे ईमेल के ज़रिए भेजा था. एसआईटी यह भी पता लगाना चाहती है कि कितने लोगों को यह नोट मिला, उसे भेजने का सही समय क्या था और प्रत्येक प्राप्तकर्ता ने ईमेल कब देखा.