भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट (supreme court) की तीन जजों की बेंच तमिलनाडु में पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति से संबंधित याचिका पर आज (8 सितंबर) को सुनवाई करेगी. इस याचिका में 31 अगस्त को जी. वेंकटरामन को तमिलनाडु का पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) / पुलिस बल प्रमुख नियुक्त करने के लिए तमिलनाडु सरकार के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की मांग की गई है.
यह अवमानना याचिका मदुरै के वकील हेनरी टिफाग्ने ने दायर की थी. हालांकि उनकी तरफ से वकील प्रसन्ना एस. प्रतिनिधित्व कर रहे हैं . ने रिप्रेजेंट किया. याचिका में कहा गया है कि कार्यवाहक/अतिरिक्त डीजीपी की नियुक्ति 2018 के प्रकाश सिंह केस में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है.
याचिका में कहा गया कि फैसले में यह प्रावधान था कि किसी राज्य को पुलिस महानिदेशक ( director general of police ) के पद पर होने वाली संभावित रिक्तता के मद्देनजर नए अधिकारी की तैनाती के लिए , मौजूदा अधिकारी की रिटायरमेंट से कम से कम तीन महीने पहले , सूंघ लोक सेवा आयोग ( union public service commission ) को एक प्रस्ताव भेजना चाहिए. याचिका में कहा गया कि तमिलनाडु सरकार ( tamil nadu govt) ने अब तक तीन महीने की समय-सीमा के भीतर यूपीएससी को ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है.
इसके अलावा, याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया था कि “कोई भी राज्य डीजीपी के पद पर किसी व्यक्ति को कार्यवाहक आधार पर नियुक्त करने का विचार भी न करे।” याचिका में कहा गया, “लेकिन इसके विपरीत, तमिलनाडु सरकार ने 31 अगस्त, 2025 को पुलिस नोट संख्या SC/19/2025 के माध्यम से , आईपीएस शंकर जीवाल के रिटायर होने पर, आईपीएस जी. वेंकटरामन को तमिलनाडु का डीजीपी/पुलिस बल प्रमुख नियुक्त कर दिया. यह कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए राज्य का एक स्पष्ट और जानबूझकर किया गया कार्य है. ”