सीबीआई की तरफ से अदालत में दी गई दलील से एक ख़ास बात यह भी सामने आई कि भुल्लर के केस की गहराई से पड़ताल की गई तो रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के इस तंत्र में पंजाब के कुछ पुलिस अधिकारियों और न्यायिक अधिकारियों की पोल पट्टी भी खुलेगी.
आखिर में विशेष अदालत ने रोपड़ रेंज के निलंबित डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर को शनिवार को , दिन भर चले नाटक के बीच , पांच दिन के लिए सीबीआई की हिरासत में रखने का आदेश दिया. संघीय जाँच एजेंसी सीबीआई और पंजाब विजिलेंस ब्यूरो, दोनों ने चंडीगढ़ और मोहाली की संबंधित अदालतों से भुल्लर की रिमांड की मांग की थी. इस घटनाक्रम में सीबीआई ( cbi ) के अभियोजक नरेंद्र सिंह को चंडीगढ़ के सेक्टर 43 कोर्ट परिसर और मोहाली के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के बीच चक्कर काटने पड़े .
उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने पंजाब पुलिस के डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर को पंजाब के एक व्यापारी स्क्रैप डीलर आकाश बत्ता की शिकायत के बाद जाल बिछाकर गिरफ्तार किया था . भुल्लर पर आरोप है कि उन्होंने एक बिचौलिए कृष्णु शारदा के जरिए 5 लाख रूपये की रिश्वत ली . यह गिरफ्तारी 16 अक्टूबर को हुई थी. इसके बाद अदालत में पेश भुल्लर को न्यायिक हिरासत में चड़ीगढ़ की बुड़ैल जेल में भेजा गया . इस बीच भुल्लर को निलंबित कर दिया गया जोकि भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी ( indian police service officer) है. इसके बाद भुल्लर की विभिन्न सम्पत्तियों पर मारे गए छापों में करोड़ों की नकदी , लग्सरी कारें , कीमती घड़ियां आदि काफी कुछ मिला था . बरामद किए भुल्लर के मोबाइल फोन के डेटा और छापों के दौरान मिले दस्तावेज पड़ताल के दौरान सीबीआई ने 29 अक्टूबर को भुल्लर के खिलाफ संपत्ति का एक मामला भी दर्ज किया.
दरअसल वहीं पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने शुक्रवार डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर के खिलाफ आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति होने (disap portionate assets) का मामला दर्ज किया था.
विशेष न्यायाधीश भावना जैन की सीबीआई अदालत ने शनिवार को भुल्लर सीबीआई की पांच दिन की हिरासत में भेज दिया. निलंबित डीआईजी भुल्लर को अब 6 नवंबर को अदालत में पेश किया जाएगा.
सीबीआई अभियोजक नरेंद्र सिंह ने अदालत को बताया कि गिरफ्तारी के समय आरोपी डीआईजी के दो मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए थे, और शुरुआती छानबीन से पता चलता है कि आरोपी और सह-आरोपी के बीच व्यापक बातचीत/ मैसेजिंग हुई थी. नरेंद्र सिंह ने अदालत को बताया, “कई चैट ( chat ) न्यायिक अधिकारियों और फैसलों को प्रभावित करने के एक पैटर्न का संकेत देती हैं.”
सीबीआई ने आगे दलील दी कि भुल्लर से हिरासत में पूछताछ जरूरी है ताकि उसके मोबाइल से निकाले गए डिजिटल डेटा से उसका सामना कराया जा सके, न्यायिक फैसलों को अवैध तरीके से प्रभावित करने में शामिल अन्य लोक सेवकों और सरकारी लोगों की पहचान की जा सके. इस मकसद से बिचौलिए/संवाहक कृष्णु शारदा, से भुल्लर का आमना सामना कराना ज़रूरी है . कृष्णु शारदा सीबीआई की हिरासत में है. ,
ऐसे शुरू हुआ नाटकीय घटनाक्रम:
दरअसल पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने शुक्रवार को डीआईजी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति होने (डीए) का मामला दर्ज किया था. ब्यूरो ने इसे आधार बनाकर सुबह मोहाली के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में भुल्लर के पेशी वारंट की मांग की. इस बीच सीबीआई ने भी तुरंत कार्रवाई की. उसने पहले चंडीगढ़ स्थित सीबीआई अदालत में भुल्लर की हिरासत की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया, और फिर अभियोजक नरेंद्र मोहाली सीजेएम अदालत पहुंचे और न्यायाधीश को सीबीआई की रिमांड की मांग वाली याचिका के बारे में सूचित किया. इसके बाद मोहाली की अदालत ने अपना आदेश सोमवार के लिए सुरक्षित रख लिया.
चंडीगढ़ स्थित सीबीआई अदालत में भुल्लर की पांच दिन की हिरासत के लिए बहस शुरू होते ही पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के अधिकारी भी पहुंच गए. विजिलेंस ब्यूरो ने दलील दी कि आरोपी को आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी मोहाली अदालत में पेश किया जाना चाहिए. इस पर सीबीआई और विजिलेंस ब्यूरो के बीच हुई तीखी बहस हुई . चंडीगढ़ स्थित सीबीआई अदालत ने आरोपी भुल्लर को 5 दिन की रिमांड पर भेज दिया.
न्यायाधीश भावना जैन ने फैसला सुनाया कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में पंजाब द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी का मतलब यह नहीं है कि मुख्य भ्रष्टाचार मामले की निष्पक्ष जांच बाधित हो.
पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के अभियोजक ने अदालत से आग्रह किया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम)-मोहाली के आदेश पर शुक्रवार को जेल के अंदर आरोपी से पूछताछ की गई और उसकी गिरफ्तारी दर्ज कर ली गई है. इसलिए, उसे गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर मोहाली अदालत में पेश किया जाना ज़रूरी है . सीबीआई अदालत ने विजिलेंस ब्यूरो के अनुरोध को इस आधार पर नामंजूर कर दिया कि मामले की निष्पक्ष जांच केवल इस आधार पर बाधित नहीं की जा सकती कि आरोपी की गिरफ्तारी पंजाब पुलिस द्वारा दर्ज की गई है और उसे मोहाली के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया जाना है.
इस बीच, भुल्लर के बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि क्योंकि आरोपी पंजाब सरकार के अधीन काम कर रहा है, इसलिए उसकी गिरफ्तारी से पहले सीबीआई को राज्य सरकार से सहमति लेना अनिवार्य है.
वहीं भुल्लर के वकील ने कहा कि सीबीआई सिर्फ पंजाब पुलिस के अधिकार को विफल करने के लिए हिरासत का अनुरोध कर रही है, और इसलिए यह आवेदन इस अदालत में प्रस्तुत किया गया है. भुल्लर पंजाब राज्य में कार्यरत रहा है, और इसलिए, दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (डीपीएसई) 1946 की धारा 6 के तहत उसकी गिरफ्तारी के लिए सीबीआई द्वारा पंजाब सरकार से अनुमति लेना आवश्यक था. हालाँकि, ऐसी कोई सहमति नहीं ली गई.”
इस आधार को नकारते हुए, सीबीआई ने कहा कि आरोपी भुल्लर को 16 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उस समय बचाव पक्ष के वकील ने इस अदालत के अधिकार क्षेत्र को कभी चुनौती नहीं दी, न ही उन्होंने यह आरोप लगाया कि गिरफ्तारी नियमों के अनुसार नहीं थी. दालत ने कहा, “आरोपी कोई आम आदमी नहीं है, बल्कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी है और माना जाता है कि वह अपने कानूनी अधिकारों से अच्छी तरह वाकिफ है.”
अदालत ने कहा कि शिकायत चंडीगढ़ स्थित सीबीआई कार्यालय में दर्ज की गई थी. “आरोपों का सत्यापन, जाल बिछाना, आरोपी के संपर्क सूत्र को चंडीगढ़ में ही पकड़ा गया और उसके बाद सह-आरोपी कृष्णु द्वारा चंडीगढ़ में आरोपी एचएस भुल्लर को एक नियंत्रित व्हाट्सएप कॉल किया गया. इसलिए यह नहीं माना जा सकता कि सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर यहां दर्ज नहीं की जा सकती थी या इसे सिर्फ पंजाब में ही दर्ज किया जाना था.”
अदालत ने कहा , “यह एक संवेदनशील मामला है जिसमें एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोप शामिल हैं. सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले और डीएसपीई अधिनियम, 1946 का हवाला देते हुए, अदालत ने कहा कि यह पूरे भारत पर लागू होता है. इस स्तर पर, ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह सुझाव दे कि सीबीआई चंडीगढ़ द्वारा एचएस भुल्लर की गिरफ्तारी या एफआईआर दर्ज करना अनुचित या अनावश्यक है.”
मोहाली कोर्ट का विजिलेंस ब्यूरो को निर्देश :
बाद में, मोहाली सीजेएम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि अगर विजिलेंस ब्यूरो या आरोपी की तरफ से द् कोई भी आवेदन दायर किया जाता है, तो दोनों अदालतों के बीच टकराव से बचने के लिए सीबीआई को पूर्व सूचना जारी की जानी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के मामलों में सीबीआई का समानांतर अधिकार क्षेत्र है. कोर्ट ने आदेश दिया, “न्यायिक औचित्य यह है कि अगर विजिलेंस ब्यूरो द्वारा आरोपी की पेशी/हिरासत के संबंध में कोई आदेश दिया जाता है, तो उससे पहले सीबीआई को पूर्व सूचना जारी करना उचित होगा.”













