चंडीगढ़ पुलिस ने सैनिकों से जुड़े केस की जांच और पूछताछ आदि के लिए कानूनी मानक संचालन प्रक्रिया जारी की है. इसमें बताया गया है कि सैन्य कर्मियों के साथ सम्पर्क करने के दौरान या बातचीत करते समय पुलिस कार्मिकों को किस तरह का व्यवहार करना चाहिए.
इस तरह का एसओपी बनाने वाला चंडीगढ़ दूसरा, केंद्र शासित या राज्य , क्षेत्र है . इससे पहले ओडिशा पुलिस ने ऐसा एसओपी जारी किया था.
चंडीगढ़ के पुलिस महानिदेशक ( डीजीपी) कार्यालय की तरफ से जारी एसओपी में इस बारे में विस्तृत निर्देश दिए गए हैं – सैन्यकर्मी चाहे शिकायतकर्ता हों, आरोपी हों, गवाह हों या मध्यस्थ हों.
डीजीपी के आधिकारिक आदेश में स्पष्ट किया गया है, “यह एसओपी इस बात को सुनिश्चित करने के लिए स्थापित किया गया है कि सेना के कर्मियों के साथ सभी तरह की बातचीत वैध, पेशेवर, सम्मानजनक, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो .”
आदेश में कहा गया है कि सम्मानजनक और विनम्र व्यवहार बनाए रखना, शिकायतों पर फौरन ध्यान देना और आवश्यक कानूनी सहायता प्रदान करना इस प्रोटोकॉल की कुंजी है.”
एसओपी की खास बात यह है कि सेवारत सेना कर्मियों को केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति के बिना गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है, जब तक कि वे हिंसक या समाज के प्रति घिनौने अपराध जैसे कि बलात्कार, हत्या या अपहरण में शामिल न हों. ऐसे मामलों में, गिरफ्तारी के सभी विवरणों के साथ निकटतम सैन्य स्टेशन मुख्यालय को तत्काल जल्द से जल्द सूचित करना होगा.
आदेश में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि, “दोनों संस्थाओं ( सेना व पुलिस ) के बीच विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए सभी कार्य निष्पक्ष, वैध और पारदर्शी होने चाहिए.” डीजीपी की तरफ से जारी इस एसओपी ने विभिन्न परिस्थितियों में सेना कर्मियों को डील करने के कई प्रमुख प्रावधान दिए हैं. शिकायत दर्ज कराने वाले सेना कर्मियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. उनके बारे में गोपनीयता बनाये रखते हुए सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए. गिरफ्तारी के मामले में, बीएनएसएस की धारा 42 और 43 का सख्ती से पालन करना आवश्यक है, और सैन्य अधिकारियों को तुरंत सूचित किया जाना चाहिए.
एसओपी में कहा गया है कि सेना के गवाहों या मध्यस्थों को सम्मानपूर्वक शामिल किया जाना चाहिए, जब तक कि उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति बिल्कुल आवश्यक न हो, दूरस्थ संचार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
एसओपी के अनुसार, पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) रैंक के अधिकारी के अधीन एक समर्पित डेस्क सेना से संबंधित सभी मामलों को संभालेगा ताकि निर्बाध संचार और समन्वय सुनिश्चित हो सके. हाई-प्रोफाइल या संवेदनशील मामलों में एक विशेष जांच दल(एसआईटी) का गठन भी किया जा सकता है.
सैनिकों से जुड़े पुलिस के किसी भी गलत व्यवहार से सख्त और पारदर्शी तरीके से निपटा जाएगा. एसओपी में यह भी अनिवार्य किया गया है कि सेना की संपत्ति, जैसे हथियार, वाहन और उपकरण को सावधानी से संभाला जाना चाहिए और तुरंत रिपोर्ट किया जाना चाहिए.
मीडिया को सैनिकों से जुड़ी जानकारी को बिना आधिकारिक मंजूरी के देना प्रतिबंधित किया गया है, ताकि संवेदनशील जानकारी सुरक्षित रखी जा सके.
समन्वय को और मजबूत करने के लिए, एसओपी में सैन्य समन्वय शाखा की स्थापना और सेनाओं के बीच आपसी सम्मान और समझ को बेहतर बनाने के लिए संयुक्त कार्यशालाओं की स्थापना की बात भी इस एसओपी में कही गई है.
इस पहल से चंडीगढ़ पुलिस और भारतीय सेना के बीच आपसी सम्मान और विश्वास को बढ़ावा मिलने, एक सामंजस्यपूर्ण नागरिक-सैन्य संबंध को बढ़ावा देने और कानून के शासन को बनाए रखने की उम्मीद है.