बेहद मिलनसार , मृदुभाषी और सहयोगात्मक रवैए वाले ‘गौड़ साहब ‘ से इस संवाददाता का परिचय उनके सीबीआई में प्रतिनियुक्ति पर आने से पहले से है. समय के साथ साथ बदलती और विस्तृत होती सूचना तकनीकी को आर के गौड़ ने जहां लगातार आत्मसात किया वहीं इस दौरान उनके जितने भी बॉस रहे उनसे संतुष्ट दिखे. श्री गौड़ ने उनसे सीखा भी और अपने काम से सीबीआई की सूचना शाखा के रीढ़ बन गए. सीबीआई से जुड़े समाचारों के संकलन के दौरान कुछेक बार होने वाले विवादों को बढ़ने से रोकने में उन्होंने अपने व्यवहार के कारण कामयाबी पाई तो कभी कभी अपने संस्थान को आलोचना से भी बचाया. वह कई मीडिया ब्रीफिंग में सीबीआई का चेहरा थे. एजेंसी में अपनी सेवा के दौरान उन्होंने कई मुश्किल परिस्थितियों को संभाला था. श्री गौड़ को विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से भी सम्मानित किया गया था.
श्री गौड़ 2020 में पुलिस उपाधीक्षक और प्रेस सूचना अधिकारी ( press information officer) के पद से सेवानिवृत्त हुए थे लेकिन तत्कालीन सीबीआई निदेशक ( cbi director ) ऋषि कुमार शुक्ला ने उन्हें रुकने के लिए कहा और उन्हें सलाहकार के रूप में नियुक्त किया. यह इसलिए क्योंकि श्री शुक्ला ‘ गौड़ साहब ‘ के सीबीआई के काम करने के तौर तरीकों के बारे में अच्छी समझ रखते थे . इसके बाद श्री शुक्ला के उत्तराधिकारी, सुबोध जयसवाल ने भी उन्हें, अनुबंध के आधार पर अपने कार्यकाल तक बने रहने के लिए कहा. श्री गौड़ का अनुबंध इस जनवरी में समाप्त हो गया.
श्री गौड़ के बारे में पूर्व निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा , ” मुझे हमेशा लगता था कि उनके अच्छे संपर्क हैं , मीडियाकर्मियों के साथ उनकी अच्छी बातचीत थी और उनकी विश्वसनीयता भी थी. साथ ही, समय के साथ सीबीआई की कार्यप्रणाली के बारे में उनकी गहन जानकारी ने उन्हें और भी अधिक प्रभावी और कुशल बना दिया. मेरी राय में उन्होंने बहुत अच्छा काम किया “.
एक अन्य पूर्व निदेशक अनिल सिन्हा ( anil sinha )की श्री गौड़ के बारे में टिप्पणी थी , “उनके मनभावन स्वभाव, विनम्र व्यवहार और उत्कृष्ट संचार कौशल ने सीबीआई को मीडिया के साथ सबसे उचित और समय पर जानकारी साझा करने में मदद की. संगठन की संवेदनशीलता का ख्याल रखते हुए मीडिया की जरूरतों को संतुलित करने की उनकी प्रवृत्ति को मेरे कार्यकाल के दौरान अत्यंत संतुष्टि के साथ नोट किया गया था”. श्री सिन्हा ने कहा, ”उन्होंने कभी भी गलत तरीके से एक भी शब्द नहीं बोला, वे पूरी तरह भरोसेमंद थे और उन्होंने सीबीआई में मेरी सहायता करते हुए खुद को एक मूल्यवान साबित किया ”.
आर के गौड़ संभवतः एकमात्र अधिकारी थे जो दो इंटरपोल जनरल असेंबली के मीडिया प्रबंधन में शामिल थे. इन्हें 1997 और 2022 में भारत में आयोजित किया गया था. लोग आर के गौड़ ( r k gaur ) की कार्यशैली को आकार देने और उन्हें मीडिया के साथ समय पर और सटीक जानकारी साझा करने का महत्व सिखाने के लिए पूर्व भारतीय सूचना सेवा अधिकारी एसएम खान ( s m khan ) को श्रेय देते हैं. ये एजेंसी के साथ गौड़ के वर्षों में परिलक्षित हुए. चौबीस घंटे वाले प्राइवेट टेलिविज़न चैनलों का दौर आने के बाद उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के हिसाब से भी श्री गौड़ ने खुद को ढाला. अक्सर फोन या डिजिटल तकनीक संदेश से जानकारी देने वाले श्री गौड़ ने ज़रूरत पड़ने पर कैमरे के सामने भी बयान देने के लिए भी खुद को तैयार किया.
क्योंकि सीबीआई (cbi ) अधिकतर बेहद महत्वपूर्ण , भ्रष्टाचार , राजनीतिज्ञों से जुड़े , बड़े आर्थिक अपराधों या अन्य संवेदनशील मामलों की तफ्तीश करती है इसलिए उनको गोपनीय रखना स्वाभविक होता है लिहाज़ा पत्रकारों तक उनके बारे में सीमित जानकारी ही उपलब्ध कराई जाती है या सूचना जानबूझकर देरी से दी जाती है. ऐसे हालात में सीबीआई की बीट कवर करने वाले पत्रकारों में असंतोष होना लाज़मी है लेकिन श्री गौड़ अक्सर सीबीआई के पक्ष में ही हालात संभाल लिया करते थे. कभी कभार थोड़ी बहुत जानकारी देकर तो कभी कभी अधिकारियों से अनुमति लेकर ‘ ऑफ़ द रिकॉर्ड ‘ जानकारी भी उपलब्ध करा दिया करते थे. लेकिन इस सबको करते हुए अपने संस्थान का हित ही सर्वोपरि रखते थे. विवादास्पद मुद्दों पर पत्रकारों के सवालों पर या तो पत्रकारों एक छोटी सी खबर मिल जाती थी या फिर हंसी-मजाक और औपचारिक बयान देकर ही श्री गौड़ विदा कर देते थे . हालाँकि, श्री गौड़ के पास हमेशा अपने कारण होते थे.