भारत में सरकार ने अब ऐसी व्यवस्था कर दी है कि सेना, पुलिस संगठनों में जाने के इच्छुक छात्रों को उनकी रूचि के हिसाब से ही माहौल और पढ़ाई के ज्यादा मौके उपलब्ध हो सकें. राज्यसभा में सदस्य भुवनेश्वर कालिता के सवाल के जवाब में दी गई सूचना के मुताबिक़ देश में अलग अलग स्थानों में ऐसे तकरीबन 100 सैनिक स्कूल और खोले जाने हैं. इनमें से कुछ स्कूलों को एनजीओ चलाएंगे, कुछ निजी स्कूलों को चलाने वाले संगठन के पास होंगे और कुछ राज्य सरकार की मदद से चलेंगे. ये एक तरह की साझेदारी वाला हिसाब किताब होगा. इनमें से कई बच्चों की फीस का आधा खर्चा सरकार भी वहन करेगी लेकिन उसकी भी सीमा 40 हजार रुपये सालाना है.
रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने श्री कालिता के सवाल के लिखित जवाब में इन स्कूलों के सिलसिले में जानकारी दी है. पूर्वोत्तर राज्यों में ऐसे जो स्कूल खुलने हैं उनमें असम में 4, अरुणाचल प्रदेश में 3 हैं जबकि मणिपुर, मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा में ऐसे दो – दो स्कूल खुलेंगे. सिक्किम में ऐसा एक सैनिक स्कूल भी खोला जाएगा. ये स्कूल भले ही किसी भी शिक्षा बोर्ड के तहत हों और कोई भी चलाए लेकिन इनके तौर तरीके सैनिक स्कूल सोसाइटी ही तय करेगी. इनमें छठी क्लास और उसके ऊपर की कक्षाओं की पढ़ाई होगी. परम्परगत सैनिक स्कूलों की तरह यहां ज़रूरी नहीं कि होस्टल या छात्रों के रहने का इंतजाम हो. सामान्य स्कूलों की तरह छात्र यहां दिनभर पढ़ेंगे और फिर अपने घर जाएंगे. कुछ छात्रों की पचास फीसदी फीस का खर्चा सरकार उठाएगी जो अधिकतम 40 हज़ार रुपये सालाना हो सकता है.