दिल्ली में आज से शुरू होगा भारतीय सैन्य विरासत महोत्सव

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भारतीय सेना ( फाइल फोटो)

दूसरा सालाना भारतीय सैन्य विरासत महोत्सव (indian military heritage festival 8 नवंबर, 2024 से नई दिल्ली में शुरू होगा. 2023 में शुरू किए गए   दो दिवसीय इस आयोजन का मकसद  वैश्विक और भारतीय थिंक टैंक, कंपनियों, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के उपक्रमों, गैर-लाभकारी संस्थाओं, शिक्षाविदों और अनुसंधान से जुड़े लोगों को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति, सैन्य इतिहास और सैन्य विरासत पर ध्यान केंद्रित करने के लिए शामिल करना है.

भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ( chief of defence staff )  जनरल अनिल चौहान इस साल तीनों सेना प्रमुखों के साथ महोत्सव का उद्घाटन करेंगे.

एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ भारतीय सैन्य विरासत महोत्सव (आईएमएचएफ )  के उद्घाटन के मौके  पर  ‘शौर्य गाथा’ परियोजना की  भी सुरुआत की जाएगी .  यह परियोजना भारत के सैन्य मामलों के विभाग और यूएसआई की एक पहल है, जिसका मकसद  शिक्षा और पर्यटन के माध्यम से भारत की सैन्य विरासत का संरक्षण और संवर्धन करना है.

सैन्य विषयों पर प्रमुख प्रकाशन मुख्य आकर्षण होंगे. इनमें एयर मार्शल विक्रम सिंह (सेवानिवृत्त) की  बिकॉज ऑफ दिस: ए हिस्ट्री ऑफ द इंडो-पाक एयर वॉर दिसंबर 1971, डॉ. मृण्मयी भूषण  लिखित एवं रक्षा मंत्रालय के प्रधान सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल विनोद खंडारे (सेवानिवृत्त) द्वारा संपादित भारतीय सेना और यूएसआई का संयुक्त प्रकाशन – वेलोर एंड ऑनर ( valour and honour), और साइलेंट वेपन्स, डेडली सीक्रेट्स: अनवीलिंग द बायोवेपन्स आर्म्स रेस (Silent Weapons, Deadly Secrets: Unveiling the Bioweapons Arms Race)  आदि का विमोचन भी शामिल है.

इस साल , रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ – drdo ) रक्षा अनुसंधान में नवाचारों के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत में योगदान देने की अपनी यात्रा और उपलब्धियों पर प्रकाश डालने वाली एक फोटो प्रदर्शनी भी लगाएगा .

दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के स्कूलों और कॉलेजों के एनसीसी कैडेट्स ( ncc cadets )  और छात्रों की भागीदारी से युवा पीढ़ी को सशस्त्र बलों में करियर बनाने के लिए प्रेरित करने में मदद मिलेगी. तीनों सेनाओं के सूचनात्मक स्टॉल होंगे.

इस साल  के उत्सव को रक्षा मंत्रालय, सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए dma), भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना, डीआरडीओ, लदाख पर्यटन विभाग , अरुणाचल प्रदेश सरकार, संस्कृति मंत्रालय और ब्रिटिश उच्चायोग सपोर्ट कर रहे हैं .