गुरुवार, 11 जनवरी, 2024 को कोलकाता में जीआरएसई की महाप्रबंधक (मानव संसाधन) लिपि दास ने गुरुवार ( 11 जनवरी, 2024) को कोलकाता में पारंपरिक तरीके से ‘ धेउ ‘ नाम की यह नौका लांच की . इस अवसर पर जीआरएसई के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कमोडोर पीआर हरि (सेवानिवृत्त) तथा जीआरएसई के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.
एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार ‘धेउ’ का निर्माण पश्चिम बंगाल सरकार के लिए किया जा रहा है जो केवल बैटरी और सौर ऊर्जा से चलती है . इसमें डीजल-इंजन से चलने वाले जल वाहन को ऐसे हरित जल वाहन ( green vehicles )से बदलने की संभावना है जो बेहद कम प्रदूषण करता है .
इस अवसर पर जीआरएसई जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि ‘धेउ’ (जिसका अर्थ है ‘लहर’) नामक इलेक्ट्रिक फेरी के लॉन्च से मैरीटाइम इंडिया विजन-2030 के अनुरूप भारत के जलमार्गों के विकास में योगदान देने वाले शून्य उत्सर्जन परिवहन के अवसरों की शुरुआत हुई है. यह माल ढोने से लेकर यात्रियों को ली जाने में सड़क और रेल-आधारित परिवहन का पूरक बन सकता है.
धेउ की विशेषताएं:
‘धेउ’ 24 मीटर लंबा जहाज नुमा नौका है जो 246 किलोवाट प्रति घंटे (kWh) की शक्ति वाली तरल व ठंडी ऊर्जा के भंडार से चलेगी. इसे 150 यात्रियों को वातानुकूलित और आरामदायक वातावरण में ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. दिलचस्प है कि यह सुरक्षित यात्रा भी बिना किसी शोर या इंजन कंपन के होगी. नौका में अधिक गतिशीलता के लिए ट्विन स्क्रू प्रोपेलर और एक कैटामरैन एल्यूमीनियम पतवार होगी जो 10 समुद्री मील तक की रफ़्तार देगी. इसमें बिजली आपूर्ति बढ़ाने के लिए सौर पैनल लगे होंगे.
जीआरएसई का दावा है कि यात्री सुरक्षा से संबंधित इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग (आईआरएस) के नवीनतम वर्गीकरण सोसायटी नियमों का पालन करते हुए नौका का निर्माण किया जा रहा है. एक बार लॉन्च होने के बाद, जहाज को बंदरगाह और तैरने के परीक्षणों से गुजरना होगा और उसके बाद इसे पश्चिम बंगाल सरकार को सौंप दिया जाएगा.
बड़ा परिवर्तक :
कमोडोर पीआर हरि (सेवानिवृत्त) ने कहा कि “इस “ग्रीन वेसल” का प्रक्षेपण एक बड़ी उपलब्धि है और “धेउ” एक गेमचेंजर होगा जो अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन क्षेत्र में क्रांति लाएगा”.
कमोडोर हरि ने कहा, “स्वायत्त और हरित ऊर्जा प्लेटफार्मों पर विशेष जोर के साथ नई प्रौद्योगिकी को अपनाना जीआरएसई का एक प्रमुख फोकस क्षेत्र रहा है, और आने वाले महीनों में ऐसे और नए उत्पादों का विकास देखा जाएगा।”
जीआरएसई:
गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत भारत में एक प्रमुख युद्धपोत निर्माण कंपनी है. जीआरएसई की शुरुआत 1884 में रिवर स्टीम नेविगेशन कंपनी के जहाजों की मरम्मत के लिए एक छोटी वर्कशॉप के रूप में हुई थी. कंपनी को 1960 में भारत सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया था. जीआरएसई को भारतीय नौसेना के लिए युद्धपोत बनाने वाला स्वतंत्र भारत का पहला शिपयार्ड होने का गौरव प्राप्त है. जीआरएसई ने भारतीय नौसेना, भारतीय तटरक्षक और मित्र देशों के लिए 109 युद्धपोतों सहित 785 से अधिक उत्पादों का निर्माण किया है – जो आज तक किसी भी भारतीय शिपयार्ड द्वारा निर्मित और वितरित किए गए सबसे अधिक युद्धपोत हैं.