भारतीय नौसेना के अत्याधुनिक पनडुब्बी शिकारी पोत अन्द्रोत (androth) को आज विशाखापत्तनम स्थित नौसेना गोदी में आयोजित एक औपचारिक समारोह में जलावतरित किया गया. यह भारतीय नौसेना का दूसरा ऐसा पनडुब्बी रोधी युद्धक जलयान है जो उथले पानी में असरदार काम करता है .
अन्द्रोत के जलावतरण समारोह की अध्यक्षता पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर ने की. इस मौके पर अन्य वरिष्ठ नौसेना अधिकारियों के अलावा, मेसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता के प्रतिनिधि भी मौजूद थे.

जीआरएसई के बनाए आईएनएस अन्द्रोत में 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री है लिहाजा इसे समुद्री ‘आत्मनिर्भर भारत’ का एक प्रतीक है कहा जा सकता है . रक्षा मंत्रालय की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, “आईएनएस अन्द्रोत स्वदेशी समाधानों और नवीन तकनीकों के माध्यम से स्वदेशी सामग्री को निरंतर बढ़ाने के भारतीय नौसेना के निरंतर प्रयासों को रेखांकित करता है.”
शिकारी विशेषताएँ:
77 मीटर लंबाई और लगभग 1500 टन विस्थापन के साथ, आईएनएस अन्द्रोत को खासतौर से तटीय और उथले पानी में पनडुब्बी रोधी अभियानों के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह पोत, एक अत्याधुनिक पनडुब्बी शिकारी, उन्नत हथियारों, सेंसर और संचार प्रणालियों से लैस है, जो इसे उप-सतह खतरों का सटीकता से पता लगाने, ट्रैक करने और बेअसर करने के काबिल बनाता है. यह उथले पानी यानि कम गहराई वाले समुद्री इलाके में लंबे समय तक काम कर सकता है . उसी लिहाज़ से यह तकनीकी रूप से उन्नत मशीनरी और नियंत्रण प्रणालियों से सुसज्जित है.
क्षमताएँ:
समुद्री डीज़ल इंजनों द्वारा संचालित तीन वाटरजेट प्रणोदन प्रणालियों से संचालित, अन्द्रोत काफी तेज़ तर्रार है. इसकी क्षमताएँ समुद्री निगरानी, खोज और बचाव, तटीय रक्षा मिशन और कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों (LIMO) तक विस्तृत हैं, जो इसे तटीय अभियानों के लिए एक बहुमुखी पोत बनाती हैं.
अन्द्रोत का जलावतरण नौसेना की उथले जल में युद्धक क्षमताओं को, विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में शत्रुओं द्वारा उत्पन्न खतरों का मुकाबला करने में, एक ख़ास ताकत देता है . इस जहाज का शामिल होना नौसेना के स्वदेशीकरण, नवाचार और क्षमता संवर्धन पर निरंतर जोर देने को रेखांकित करता है. साथ ही यह भारत की समुद्री सुरक्षा संरचना को मजबूत करने में जीआरएसई (GRSE) के अहम् योगदान को भी ज़ाहिर करता है.
अन्द्रोत (एंड्रोथ) नाम क्यों:
इस जहाज का नाम अन्द्रोत के नाम पर रखा गया है, जो लक्षद्वीप समूह का सबसे उत्तरी द्वीप है. यह द्वीप भारत के समुद्री क्षेत्र में अपने ऐतिहासिक और सामरिक महत्व के लिए जाना जाता है.
जीआरएसई की प्रशंसा:
इस अवसर पर बोलते हुए, मुख्य अतिथि ने भारत की समुद्री क्षमता को मज़बूत करने और राष्ट्रीय हितों की रक्षा में आईएनएस अन्द्रोत जैसे स्वदेश निर्मित प्लेटफार्मों के रणनीतिक महत्व पर ज़ोर दिया. यह कमीशनिंग पनडुब्बी रोधी युद्ध में नौसेना की क्षमता को मज़बूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है और क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और समुद्री सहयोग के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है.
जलावतरण के बाद, वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर ने जहाज के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया और उन्हें जहाज की निर्माण यात्रा और नई स्वदेशी क्षमताओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई. उन्होंने जहाज के कमीशनिंग क्रू और जीआरएसई के अधिकारियों से भी बातचीत की और आईएनएस अन्द्रोत की समय पर तैनाती के लिए उनके समर्पित प्रयासों के लिए उन्हें बधाई दी.